‘स्व’ आधारित स्वदेशी विकासपथ अपनाएँ: भागवत।

अधूरी, निपट जड़वादी तथा पराकोटि की उपभोगवादी दृष्टि पर आधारित विकास पथों के कारण, मानवता व प्रकृति धीरे-धीरे परंतु निश्चित रूप से विनाश की ओर अग्रसर हो रही है। संपूर्ण विश्व में यह चिंता बढ़ी है। उन असफल पथों को त्याग कर अथवा धीरे-धीरे वापिस मोड़कर भारतीय मूल्यों पर तथा भारत की समग्र एकात्म दृष्टि पर आधारित, काल सुसंगत व अद्यतन, अपना अलग विकास पथ भारत को बनाना ही पड़ेगा। यह भारत के लिए सर्वथा उपयुक्त तथा विश्व के लिए भी अनुकरणीय प्रतिमानक बन सकेगा। उपनिवेशी मानसिकता से मुक्त होकर, अपने देश में जो है उसको युगानुकूल बनाते हुए, हम अपना ‘स्व’ आधारित ‘स्व’देशी विकासपथ अपनाएँ, यह समय की आवश्यकता है।

Comments

Popular posts from this blog

दिवाली से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल का बड़ा तोहफा, नगर निगम, नगर परिषद व समितियों के मेयर, अध्यक्ष सहित सदस्यों के मानदेय में की उल्लेखनीय बढ़ोतरी।

छा गए हरियाणवी।

सरबजोत सिंह ने कांस्य पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक-2024 के लिए क्वालीफाई किया।